‘मैं यहां अतिथि नहीं’: PM मोदी ने छत्तीसगढ़ में ब्रह्माकुमारी के ‘शांति शिखर’ का किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवा रायपुर में ब्रह्माकुमारी के 'शांति शिखर' मेडिटेशन सेंटर का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में PM ने ब्रह्माकुमारी से दशकों पुराने रिश्ते का ज़िक्र करते हुए कहा—'मैं अतिथि नहीं, आपका ही हूं'
नवा रायपुर (छत्तीसगढ़)/जनमत न्यूज़:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नवा रायपुर में ब्रह्माकुमारी संस्थान के ‘शांति शिखर’ मेडिटेशन सेंटर का उद्घाटन किया। यह भव्य केंद्र आध्यात्मिक अभ्यास और योग साधना के लिए समर्पित है। प्रधानमंत्री के इस दौरे ने आध्यात्मिक मूल्यों और राष्ट्र निर्माण के बीच गहराई से जुड़े भाव पर ध्यान केंद्रित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से देश के कई राज्यों के स्थापना दिवस का उल्लेख किया। उन्होंने कहा,“आज का दिन बहुत विशेष है। छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहे हैं। मैं सभी राज्यों के निवासियों को स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की यात्रा में ब्रह्माकुमारी जैसी संस्थाओं की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा, “राज्य के विकास से देश का विकास होता है, और इस पथ पर आध्यात्मिक संगठन भी अपने स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। मैंने हमेशा देखा है कि यहां शब्दों से ज्यादा सेवा की भावना है।”
ब्रह्माकुमारी संगठन से अपने दशकों पुराने संबंध का ज़िक्र करते हुए मोदी ने कहा कि वह इस मंच पर अतिथि नहीं, परिवार का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा,“मैं बीते कई दशकों से आप सबके साथ जुड़ा हुआ हूं। 2011 में अहमदाबाद में कार्यक्रम हो या माउंट आबू की यात्रा, ब्रह्माकुमारी के कार्यों के साथ मेरा जुड़ाव निरंतर रहा है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि दिल्ली आने के बाद से स्वच्छ भारत मिशन, आजादी का अमृत महोत्सव जैसे अभियानों में ब्रह्माकुमारी संस्थान की सक्रिय भूमिका देखने को मिली। “जब भी मैं आपके बीच आता हूं, आपके प्रयासों को गंभीरता से देखता हूं,” उन्होंने कहा।
मोदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संगठन की आध्यात्मिक शक्ति उनके आदर्श आचरण में निहित है। उन्होंने संस्कृत श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा, “आचरण ही परम धर्म है। परिवर्तन तब होता है जब जीवन में कथन को आचरण में उतारा जाए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सभ्यता सदैव ‘विश्व कल्याण’ की अवधारणा पर आधारित रही है। “हम जीव में शिव देखते हैं, हर धार्मिक अनुष्ठान का उद्देश्य प्राणियों में सद्भावना और विश्व शांति है। आज भारत जब भी दुनिया में संकट आता है, तो तुरंत सहायता के लिए तत्पर रहता है।”
PM मोदी ने अपने संबोधन के अंत में ‘शांति शिखर’ के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा,“आत्मसंयम से आत्मज्ञान, आत्मज्ञान से आत्म-साक्षात्कार और आत्म-साक्षात्कार से आत्मशांति का मार्ग प्राप्त होता है। यहां के साधक वैश्विक शांति के दूत बनेंगे।”

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