छठ के बहाने नितीश पहुंचे चिराग पासवान के घर क्या नितीश चल रहे कोई नई चाल !
नीतीश कुमार का कोई भी एक्ट यूं ही नहीं होता. चाहे वो किसी मुद्दे पर महज बयान ही क्यों न हो. या फिर, किसी से मेल मुलाकात की बात हो. और, मेल मुलाकात भी ऐसी जिसमें वो खुद चलकर किसी के घर पहुंचते हों. लालू यादव के मामले में तो ये देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार ये वाकया चिराग पासवान के साथ हुआ है..........
नीतीश कुमार का कोई भी एक्ट यूं ही नहीं होता. चाहे वो किसी मुद्दे पर महज बयान ही क्यों न हो. या फिर, किसी से मेल मुलाकात की बात हो. और, मेल मुलाकात भी ऐसी जिसमें वो खुद चलकर किसी के घर पहुंचते हों. लालू यादव के मामले में तो ये देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार ये वाकया चिराग पासवान के साथ हुआ है. जनवरी में मकर संक्रांति के मौके पर नीतीश कुमार के लालू यादव के साथ दही चूड़ा खाने के लिए जाने के कुछ लोग कयास लगा रहे थे. क्योंकि, इफ्तार दावत के मौके पर मेल मुलाकात को शिष्टाचार से सियासी रंग लेते देखा गया था. नीतीश कुमार ने जितनी बार पाला बदला था, एक बार उसके बाद भी ये देखने को मिला था.
लेकिन, चिराग पासवान से उनके घर पहुंच कर नीतीश कुमार का मिलना थोड़ा अलग है. चिराग पासवान से नीतीश कुमार 2020 में दूध के जले हुए हैं, लिहाजा 2025 में वो हर छाछ बार-बार फूंक-फूंक कर पी रहे हैं - और ये बड़ा सवाल तो है ही कि नीतीश कुमार को मिलने के लिए चिराग पासवान के घर जाने की जरूरत क्यों पड़ी? मौका कोई भी हो. बहाना कोई भी हो, राजनीति हो ही जाती है. मौका छठ पर्व का हो या मकर संक्रांति का. मुलाकात हो तब भी,और मुलाकात न हो तब भी. ऐसी मुलाकातों में नीतीश कुमार का अंदाज चौंकाने वाला ही होता है. कभी मुलाकात हो जाती है, कभी नहीं भी हो पाती. राजनीति चलती रहती है. नीतीश कुमार और चिराग पासवान का रिश्ता पहले जैसा भी रहा हो, पिछले पांच साल से तो तनावपूर्ण ही रहा है. सार्वजनिक तौर पर तनाव कम हुआ है. चिराग पासवान का नीतीश कुमार का पैर छूना सार्वजनिक रूप से सम्मान प्रकट करने का प्रतीक है. और, ये अक्सर देखने को मिलता है.
फिलहाल तो नीतीश कुमार के दरवाजे पर पहुंचते ही चिराग पासवान के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की चर्चा है, लेकिन अभी 24 अक्टूबर को ही समस्तीपुर की रैली में भी बिल्कुल ऐसा ही देखा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए मंच पर पूरा बिहार एनडीए मौजूद था. जैसे ही नीतीश कुमार गाड़ी से उतरे, अगवानी करने पहुंचे चिराग पासवान ने झट से झुककर पैर छू लिए. चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच जो भाव एक्सचेंज हुए, देखने लायक थे.
नीतीश कुमार बोले, 'क्या जी.. हम तो ऐसे ही दर्शन करने के लिए चले आए.'
मौके पर चिराग पासवान के बहनोई और जमुई सांसद अरुण भारती भी मौजूद थे, और बाद में चिराग पासवान ने परिवार के साथ मुलाकात की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर डाली हैं. लिखा भी है, 'धन्यवाद माननीय मुख्यमंत्री जी, जो आज आप मेरे आवास पर आए... और खरना का प्रसाद ग्रहण किया... मेरे परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर छठ महापर्व की शुभकामनाएं देने के लिए हार्दिक आभार.'
मकर संक्रांति के मौके पर भी नीतीश कुमार की तरफ से ऐसी ही पहल देखी गई थी, लेकिन चिराग पासवान में अभी वाली गर्मजोशी बिल्कुल नहीं देखी गई. मकर संक्रांति के मौके पर चिराग पासवान ने दही-चूड़ा खाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई नेताओं को न्योता दिया था.
नीतीश कुमार मौके पर पहुंच भी गए. लेकिन, चिराग पासवान नदारद थे. न भेंट हुई, न नीतीश कुमार ने दही चूड़ा खाया. और, लौट गए. बाद में चिराग पासवान की सफाई भी आई थी. चिराग पासवान ने बताया कि नीतीश कुमार के आने की जब उनको खबर मिली तब वो पूजा पर बैठे हुए थे. और फौरन उठकर वो मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाए.
राजनीति का मिजाज भी गजब होता है. जब न्योता मिलने पर नीतीश कुमार पहुंचे तो चिराग पासवान से भेंट ही नहीं हुई. और सीधे दर्शन करने पहुंचे तब वही चिराग पासवान रिसीव करने पहुंच गए. पूजा तो हो ही रही थी. नीतीश कुमार भी तो छठ पर्व के दौरान खरना का प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे थे. प्रसाद ग्रहण किया भी, और चिराग पासवान को आशीर्वाद भी दिया
2020 की स्थिति बिल्कुल अलग थी, और अभी का हाल काफी बेहतर है. पिछली बार चिराग पासवान एनडीए से अलग अपने हिसाब से चुनाव लड़ रहे थे. विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में ही चिराग पासवान को 29 सीटें मिली हुई हैं. और वो इसे लेकर खुशी भी जाहिर कर चुके हैं. वो अपने पिता के जमाने में पार्टी के 29 सीटें जीतने की भी याद दिला रहे हैं.
एनडीए में सीट बंटवारे पर चिराग पासवान का कहना था, मैं बिल्कुल खुश और संतुष्ट हूं... मेरे पास खुश न होने का कोई कारण नहीं है, वरना मैं बहुत कृतघ्न हो जाऊंगा, क्योंकि एक शून्य विधायक वाली पार्टी के लिए मेरे प्रधानमंत्री ने मुझ पर इतना भरोसा किया है... और मुझे 29 सीटें लड़ने के लिए दी हैं... ठीक वैसे ही जैसे लोकसभा चुनाव में मेरी पार्टी को पांच सीटें दी गई थीं.
जब सब ठीक ही है, तो नीतीश कुमार को डर किस बात का है? ऐसा भी नहीं कि पिछली बार की तरह चिराग पासवान जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारकर हराने की कोशिश करेंगे. नीतीश कुमार को वैसे भी बीजेपी के बराबर गठबंधन में 101 सीटें मिली हुई हैं. पहले के मुकाबले नंबर कम जरूर हो गया है, लेकिन वैसा कोई खास अंतर भी नहीं है.
चर्चाएं अपनी जगह हैं, लेकिन बीजेपी भी बिहार चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताजा दौरे में नीतीश कुमार को करीब करीब एनडोर्स भी किया है. अमित शाह की बात और है. दबाव बनाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ता है. नीतीश कुमार भी कहां मौका जाने देते हैं.और, चिराग पासवान ने भी तो पहले ही बोल दिया है, 'मुझे लगता है कि अंततः सभी विधायक नीतीश कुमार जी को फिर से चुनेंगे.'
मई, 2025 में चिराग पासवान भी तो नीतीश कुमार से मिलने गए ही थे. तब चिराग पासवान ने कहा था कि मुख्यमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है, लेकिन बीच में वो खुद के विधानसभा चुनाव लड़ने के शिगूफे भी छोड़ते रहे. सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की बातें तो सटीक भी बैठने लगी थीं.
लेकिन, अब तो सब साफ साफ नजर आ रहा है. चिराग पासवान खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. और, अपने हिस्से की मिली सीटों पर ही चुनाव लड़ रहे हैं - ऐसे में नीतीश कुमार को चिराग पासवान से डर किस बात का है?
कहीं चिराग पासवान में नीतीश कुमार को अपना उत्तराधिकारी तो नजर नहीं आ रहा है?

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