मेहनतकश हाथों को सलाम, आज है अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस
Labour Day: भारत सहित विश्व के कई देशों में हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस यानी लेबर डे के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन मेहनतकश लोगों की मेहनत और संघर्ष को सम्मान देने का अवसर होता है, जिनकी मेहनत से समाज की बुनियाद खड़ी होती है।

Labour Day:भारत सहित विश्व के कई देशों में हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस यानी लेबर डे के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन मेहनतकश लोगों की मेहनत और संघर्ष को सम्मान देने का अवसर होता है, जिनकी मेहनत से समाज की बुनियाद खड़ी होती है। चाहे ऊंची-ऊंची इमारतें हों, चमचमाती सड़कें या लहलहाते खेत—हर निर्माण के पीछे किसी मजदूर की मेहनत और पसीने की कहानी छुपी होती है।
मजदूर दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इस दिन की शुरुआत 19वीं सदी के श्रमिक आंदोलनों से हुई थी। 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने आठ घंटे काम करने की मांग को लेकर हड़ताल की थी। 4 मई को हुए हेमार्केट स्क्वायर प्रदर्शन में कई लोग मारे गए, जिसे हेमार्केट अफेयर के नाम से जाना जाता है।
इसके बाद, 1889 में पेरिस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में घोषित किया गया। इसका उद्देश्य न केवल हेमार्केट आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देना था, बल्कि दुनियाभर के श्रमिकों को एकजुट करना भी था।
इस अवसर पर श्रमिकों को नमन – कुछ प्रेरणादायक संदेश और कोट्स:
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"हर ईमारत में उनकी मेहनत बसती है, हर सड़क पर उनकी कहानी चलती है। जो दुनिया को खड़ा करते हैं, उन्हें समाज क्यों भुला दे?"
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"मैं अपने सपनों को दबाकर दूसरों का महल बनाता हूं, खुद झोपड़ी में रहकर भी मुस्कुराता हूं।"
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"पसीने की बूंदों से धरती सींचते हैं, दर्द को दिल में छुपाकर दुनिया संवारते हैं मजदूर।"
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"न हथियार है, न ताज, पर हाथों में शहर बसाने का हुनर है।"
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"ईंट-पत्थरों से घर बनाते हैं, खुद छांव के लिए तरस जाते हैं।"
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"हाथों में छाले हैं फिर भी मुस्कान लिए हर सुबह उठते हैं—हमारा असली हीरो मजदूर है।"
क्यों जरूरी है मजदूर दिवस?
यह दिन हमें याद दिलाता है कि कोई भी देश मजदूरों के योगदान के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। यह सिर्फ एक छुट्टी नहीं, बल्कि श्रमिकों की मेहनत और उनके आत्म-सम्मान को सम्मानित करने का दिन है। इस दिन का उद्देश्य सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि सोच और सरोकार जगाना है कि समाज का हर हिस्सा उनके योगदान को पहचाने और उन्हें उनका हक मिले।