बहराइच में आदमखोर भेड़िये का कहर जारी, मां के पास सो रही एक वर्षीय मासूम को उठाकर ले गया भेड़िया

क्षेत्र में काफी समय से भेड़िये का आतंक बना हुआ है, लेकिन इसके बावजूद ठोस और प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। लोगों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते मासूम बच्चों की जान खतरे में पड़ी हुई है।

बहराइच में आदमखोर भेड़िये का कहर जारी, मां के पास सो रही एक वर्षीय मासूम को उठाकर ले गया भेड़िया
PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR

बहराइच से रिजवान खान की रिपोर्ट —

बहराइच/जनमत न्यूज। जनपद में आदमखोर भेड़िये का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कैसरगंज थाना क्षेत्र के गोड़हिया नंबर चार इलाके में एक बार फिर दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। देर रात मां के पास सो रही एक वर्ष की मासूम बच्ची को भेड़िया उठाकर जंगल की ओर ले गया। घटना के बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया और ग्रामीणों में भय का माहौल व्याप्त हो गया।

जानकारी के अनुसार, बच्ची अपनी मां के साथ घर के बाहर सो रही थी। इसी दौरान अचानक आदमखोर भेड़िये ने हमला किया और मासूम को अपने जबड़े में दबाकर जंगल की ओर भाग गया। परिजनों और ग्रामीणों ने शोर मचाते हुए पीछा करने का प्रयास किया, लेकिन तब तक भेड़िया बच्ची को लेकर ओझल हो चुका था।

घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन और वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंच गईं। इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। भेड़िये को पकड़ने के लिए ड्रोन की मदद से निगरानी की जा रही है और पिंजरे लगाने की तैयारी भी की जा रही है। पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम आसपास के गांवों में लगातार गश्त कर रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में काफी समय से भेड़िये का आतंक बना हुआ है, लेकिन इसके बावजूद ठोस और प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। लोगों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते मासूम बच्चों की जान खतरे में पड़ी हुई है।

बताया जा रहा है कि अब तक भेड़िये के हमलों में 8 मासूम बच्चों समेत एक महिला और एक पुरुष की मौत हो चुकी है। कुल मृतकों की संख्या 10 तक पहुंच गई है, जबकि 35 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई बच्चे अभी भी अस्पताल में इलाजरत हैं। सबसे अधिक घटनाएं कैसरगंज, महसी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में सामने आई हैं।

लगातार हो रही इन घटनाओं से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। बहराइच में आदमखोर भेड़िया अब प्रशासन और वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। सवाल यह है कि आखिर कब तक मासूम बच्चे इस खूंखार भेड़िये का शिकार बनते रहेंगे और कब इस आतंक पर पूरी तरह लगाम लगेगी।