वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आईटीएम के तीन छात्रों ने मिलकर तैयार किया एक विशेष उपकरण 

कोहरे के कारण सड़कों और हाईवे पर होने वाली वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए गोरखपुर के आईटीएम गीडा के बीसीए सेकंड ईयर के तीन छात्रों, आदित्य, मेराज और आरुषि ने मिलकर एक विशेष उपकरण तैयार किया है। इस डिवाइस को "व्हीकल आई सेंसर" नाम दिया गया है। यह उपकरण ठंड के मौसम में कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगा।

वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आईटीएम के तीन छात्रों ने मिलकर तैयार किया एक विशेष उपकरण 

गोरखपुर/जनमत। कोहरे के कारण सड़कों और हाईवे पर होने वाली वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए गोरखपुर के आईटीएम गीडा के बीसीए सेकंड ईयर के तीन छात्रों, आदित्य, मेराज और आरुषि ने मिलकर एक विशेष उपकरण तैयार किया है। इस डिवाइस को "व्हीकल आई सेंसर" नाम दिया गया है। यह उपकरण ठंड के मौसम में कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगा।
छात्रों ने अपने कॉलेज के इनोवेशन लैब में इस सेंसर को तैयार किया है। इस डिवाइस का उद्देश्य सड़क पर एलपीजी, पेट्रोल, और अन्य वाहनों के बीच टक्कर को रोकना है। खास बात यह है कि यदि एलपीजी टैंकर में कहीं लीक होती है, तो यह डिवाइस तुरंत फायर ब्रिगेड और अन्य बचाव दल को टैंकर की लोकेशन के साथ आपातकालीन सूचना भेज देता है।
छात्रों ने बताया कि "व्हीकल आई सेंसर" को अल्ट्रासोनिक सेंसर तकनीक पर आधारित बनाया गया है। इसे किसी भी गाड़ी, जैसे कार, ट्रक, या टैंकर के आगे और पीछे लगाया जा सकता है। यदि ड्राइवर को नींद आ जाती है और गाड़ी के सामने किसी वाहन के आने पर यह डिवाइस तेज अलार्म बजाकर ड्राइवर को सतर्क करता है। साथ ही, गाड़ी पर ऑटोमैटिक ब्रेक भी लग जाता है।

मेराज ने बताया कि हाईवे पर ड्राइवरों को नींद आने के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं। हमारा यह डिवाइस ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में कारगर साबित होगा। इसके अलावा, यदि किसी टैंकर से एलपीजी या ज्वलनशील पदार्थ लीक होता है, तो यह अलार्म बजाकर सभी को सतर्क कर देगा। साथ ही, टैंकर के पीछे लगी रेड और ग्रीन लाइट से यह भी पता चल सकेगा कि टैंकर भरा हुआ है या खाली।
छात्रा आरुषि श्रीवास्तव ने बताया कि यह प्रोजेक्ट बनाने का विचार उन्हें जयपुर में हुई एक गैस टैंकर दुर्घटना से आया। उनका कहना है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़कों पर चलने वाले गैस, एलपीजी और पेट्रोल टैंकरों को टेक्नोलॉजी से लैस करना जरूरी है।

संस्थान के निदेशक डॉ.एन.के.सिंह ने छात्रों के इस प्रयास की प्रशंसा की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। आदित्य ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में कुल साढ़े दस हजार रुपये का खर्च आया। यदि इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जाए, तो इसकी लागत और कम हो सकती है।
मेराज ने बताया कि इस डिवाइस को बनाने में उन्होंने ऑर्डिनो, अल्ट्रासोनिक सेंसर, रिले मॉड्यूल, जीपीएस और 7 वोल्ट बैटरी का उपयोग किया है। छात्रों का यह प्रोजेक्ट सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।