कौन होते हैं ये स्वयंसेवक, कैसे दी जाती है प्रचारकों को सैलरी? कांग्रेस ने दागे कई सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र व कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा चंदा प्राप्त करने के तरीके पर आज सोमवार को सवाल उठाया.
नई दिल्ली/जनमत न्यूज़। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र व कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा चंदा प्राप्त करने के तरीके पर आज सोमवार को सवाल उठाया और उसके वित्तपोषण के तरीकों पर स्पष्टीकरण मांगा।
खरगे ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि संगठन पूरी तरह से अपने स्वयंसेवकों के योगदान से संचालित होता है।
कांग्रेस ने चंदे पर उठाए सवाल
प्रियांक खरगे ने कहा, 'भागवत ने कहा है कि RSS अपने स्वयंसेवकों द्वारा दिए गए चंदे के माध्यम से काम करता है। हालांकि, इस दावे को लेकर कई वाजिब सवाल उठते हैं।' उन्होंने पूछा कि ये स्वयंसेवक कौन हैं और उनकी पहचान कैसे की जाती है, वे कितना चंदा देते हैं एवं इसकी प्रकृति क्या है, किन माध्यमों से धन एकत्र किया जाता है?
मंत्री ने कहा, 'अगर RSS पारदर्शी तरीके से काम करता है, तो संगठन को उसकी पंजीकृत पहचान के तहत सीधे चंदा क्यों नहीं दिया जाता?' उन्होंने जानना चाहा कि औपचारिक रूप से पंजीकृत संस्था न होते हुए भी RSS ने अपना वित्तीय और संगठनात्मक ढांचा कैसे कायम रखा।
उन्होंने यह भी पूछा कि पूर्णकालिक प्रचारकों को कौन वेतन देता है और संगठन के नियमित संचालन संबंधी खर्चों को कौन पूरा करता है तथा बड़े पैमाने के आयोजनों, अभियानों एवं संपर्क गतिविधियों का वित्तपोषण कैसे होता है?
'कौन रखता है धन का हिसाब, खर्च कौन उठाता है?'
उन्होंने स्वयंसेवकों द्वारा 'स्थानीय कार्यालयों' से गणवेश या सामग्री खरीदे जाने का मुद्दा उठाया और पूछा कि धन का हिसाब कहां रखा जाता है और स्थानीय कार्यालयों एवं अन्य बुनियादी ढांचे के रखरखाव का खर्च कौन उठाता है। मंत्री ने कहा कि ये प्रश्न पारदर्शिता और जवाबदेही के मूलभूत मुद्दे को रेखांकित करते हैं। उन्होंने कहा अपनी व्यापक राष्ट्रीय उपस्थिति और प्रभाव के बावजूद आरएसएस अब भी पंजीकृत क्यों नहीं है?
उन्होंने कहा, 'जब भारत में हर धार्मिक या धर्मार्थ संस्था को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है, तो RSS के लिए ऐसी जवाबदेही व्यवस्था न होने का क्या औचित्य है?
क्या बोले थे संघ प्रमुख
बता दें कि RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कल रविवार को कहा था कि उनके संगठन को व्यक्तियों के एक समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा था, ' RSS की स्थापना 1925 में हुई थी, तो क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराते' आजादी के बाद भारत सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं बनाया।

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