धर्म सेना प्रमुख संतोष दुबे ने प्रशासन पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप 

प्रेस वार्ता में दुबे ने हाल की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जनपद में अपराधी पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। सोहावल के देवई गांव की घटना, इनायत नगर की कहुआ और भदरसा में हुई आपराधिक घटनाएं न केवल शर्मनाक बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

धर्म सेना प्रमुख संतोष दुबे ने प्रशासन पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप 
REPORTED BY - AZAM KHAN, PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR

अयोध्या/जनमत न्यूज। अयोध्या में भ्रष्टाचार और सुस्त प्रशासन व्यवस्था को लेकर धर्म सेना प्रमुख संतोष दुबे ने शनिवार को सिविल लाइन स्थित एक स्थानीय होटल में प्रेस वार्ता आयोजित की। प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिले में भ्रष्टाचार और दबंगई अपने चरम पर है, जबकि प्रशासन केवल खानापूर्ति में व्यस्त है।

संतोष दुबे ने आरोप लगाया कि बीकापुर तहसील के ग्राम रुकुनपुर पातुपुर की एक महिला ने सोहावल तहसील के माधोपुर में आवासीय प्लाट खरीदकर दाखिल-खारिज और खतौनी का नामांतरण करवा लिया था। बावजूद इसके दबंग और आपराधिक किस्म के लोगों ने उस भूमि पर कब्जा कर लिया। पीड़िता की शिकायत पर प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, सिर्फ औपचारिकता निभाकर मामले को टाल दिया।

प्रेस वार्ता में दुबे ने हाल की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जनपद में अपराधी पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। सोहावल के देवई गांव की घटना, इनायत नगर की कहुआ और भदरसा में हुई आपराधिक घटनाएं न केवल शर्मनाक बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इन घटनाओं पर प्रशासन की नाकामी साफ झलकती है।

धर्म सेना प्रमुख ने कहा कि जिले में अपराध और भ्रष्टाचार की स्थिति इस कदर गंभीर है कि आम जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। उन्होंने मांग की कि प्रशासन को तुरंत सक्रिय होकर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा। प्रेस वार्ता में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडे, राहुल सिंह, चंद्रभान, दीपक सिंह, राजू निषाद, संजय निषाद, किशन कुमार और दिग्विजय पांडे सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।

अयोध्या जैसे संवेदनशील जिले में भ्रष्टाचार और अपराध के आरोप गंभीर माने जाते हैं। प्रशासनिक निष्क्रियता की वजह से जनता का भरोसा कमजोर पड़ता है और दबंगों के हौसले बुलंद होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शिकायतों पर समय रहते ठोस कार्रवाई न की जाए, तो यह न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि शासन की साख के लिए भी चुनौती साबित हो सकता है।