सलोन कोतवाली पुलिस पर अवैध वसूली, मारपीट और आधी रात छापेमारी के लगे गंभीर आरोप
27 नवंबर को साबिर ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र देकर सुरक्षा की मांग की थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से पुलिस की ओर से आने वाले उत्पीड़न का अंदेशा जताया था।
रायबरेली/जनमत न्यूज। सलोन कोतवाली क्षेत्र के घोसी का पुरवा, मौजा ख्वाजापुर गांव में एक व्यापारी परिवार ने पुलिस प्रशासन पर अवैध वसूली, फर्जी हिरासत, मारपीट और आधी रात दबिश देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। यह पूरा मामला पनीर मिलावट प्रकरण से जुड़ा बताया जा रहा है, लेकिन जिस प्रकार पुलिस ने हस्तक्षेप किया, उससे विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
पीड़ित मोहम्मद साबिर कई वर्षों से गांव में पनीर बनाकर गुजर-बसर करते हैं। उन्होंने हाल ही में सलोन कोतवाली के एक दरोगा पर अवैध वसूली का आरोप लगाया था। साबिर का दावा है कि इसी कारण दरोगा विजय शंकर यादव, दीवान बच्चा तथा विपक्षीगण मिलकर उन्हें फर्जी मामलों में फँसाने की साजिश रच रहे थे।
27 नवंबर को साबिर ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र देकर सुरक्षा की मांग की थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से पुलिस की ओर से आने वाले उत्पीड़न का अंदेशा जताया था।
साबिर की पत्नी ने पुलिस अधीक्षक को दिए पत्र में बताया कि बीती रात करीब तीन गाड़ियों में लगभग 15 पुलिसकर्मी उनके घर पहुँचे। आरोप है कि पुलिसकर्मी ज़बरदस्ती घर में घुसे, महिलाओं से बदसलूकी की, गाली-गलौज की और परिजनों के साथ मारपीट की। शिकायत में यह भी कहा गया कि पुलिसकर्मियों ने बाथरूम से निरमा पाउडर, किचन से सरसों का तेल निकालकर “साक्ष्य” के तौर पर फोटोग्राफी की, और धमकाया कि “पुलिस से दुश्मनी ली है, अब अवैध असलहा और गोकशी की धाराएँ लगाकर जेल भेजेंगे।”
परिवार के अनुसार, पुलिस ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।महिला ने आरोप लगाया कि पुलिस उसके पति और पुत्र को थाने ले गई और गंभीर धाराएँ लगाने की धमकी देकर अवैध वसूली का दबाव बनाया गया। मामला जब वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुँचा तो सोमवार को दोनों को रिहा कर दिया गया।
इसी बीच खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की ओर से एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बड़ी मात्रा में पनीर नष्ट करते हुए दिखाया गया। अपर जिलाधिकारी ने मीडिया से कहा कि सैंपलिंग की गई है और रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई तय होगी।
गांव में चर्चा है कि पुलिस का काम केवल कानून-व्यवस्था देखना होता है, जबकि खाद्य सैंपलिंग खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग का कार्यक्षेत्र है। लेकिन इस मामले में दोनों विभागों की संयुक्त कार्रवाई से यह आशंका प्रबल हो रही है कि कहीं यह पूरा ऑपरेशन “अवैध वसूली” का हिस्सा तो नहीं।
स्थानीय नागरिकों और व्यापारी संगठन ने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है। पीड़ित परिवार का कहना है कि यदि न्याय न मिला तो वे उच्च न्यायालय तक जाने को मजबूर होंगे।

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