मनोज कुमार का निधन: विजय नगर से लेकर फिल्मी दुनिया तक का उनका सफर

Manoj Kumar Death :मनोज कुमार का निधन हो गया। उनका बचपन उत्तर दिल्ली के विजय नगर के डी ब्लॉक स्थित मकान नंबर 29 में बीता। यही वह घर था, जहां उनके पिता हरबंस लाल गोस्वामी परिवार के साथ 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर रहने लगे थे।

मनोज कुमार का निधन: विजय नगर से लेकर फिल्मी दुनिया तक का उनका सफर

फिल्मी न्यूज़: मनोज कुमार का निधन हो गया। उनका बचपन उत्तर दिल्ली के विजय नगर के डी ब्लॉक स्थित मकान नंबर 29 में बीता। यही वह घर था, जहां उनके पिता हरबंस लाल गोस्वामी परिवार के साथ 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर रहने लगे थे। मनोज कुमार का परिवार उस ऐबटाबाद से था, जहां ओसामा बिन लादेन छिपा हुआ था।

विजय नगर में आज भी कुछ लोग हैं जो याद करते हैं कि मनोज कुमार को पड़ोस में प्यार से गुल्लू कहा जाता था। वह बहुत ही आकर्षक और सुंदर युवक थे। उनका गोरा रंग, घुंघराले बाल और लंबा कद उन्हें अन्य लोगों से अलग करता था। दिल्ली विधानसभा के पूर्व सदस्य डॉ. हरीश खन्ना बताते हैं कि मनोज कुमार के पिता को विजय नगर में सभी बाऊ जी कहकर पुकारते थे। शुरुआत में मनोज कुमार का परिवार दिल्ली के शरणार्थी कैंपों में रहने को मजबूर था। हरीश खन्ना के अनुसार, मनोज कुमार का सपना फिल्मों में काम करने का था और उनके पिता ने बड़ी कोशिशों के बाद उन्हें मुंबई भेजा। वहां जाकर गुल्लू, मनोज कुमार बन गए और अपने कठिन परिश्रम और अभिनय के दम पर फिल्मी दुनिया में नाम कमाया। उनकी पहली फिल्म 'फैशन' थी, जिसमें उन्होंने साइड रोल किया था। इसके बाद उनकी कई हिट फिल्में आईं जैसे 'कांच की गुड़िया', 'शहीद', 'उपकार', 'हरियाली और रास्ता', 'पूरब और पश्चिम', और 'रोटी कपड़ा और मकान'। वह खुद भी एक लेखक, निर्देशक और प्रोड्यूसर बने।

मनोज कुमार ने एक बार इस लेखक को 1999 में एक इंटरव्यू में बताया था कि मुंबई जाने के बाद कई सालों तक उनका विजय नगर का घर उनके परिवार के पास था। उनका परिवार पाकिस्तान से दिल्ली आया था और उनका छोटा भाई बहुत बीमार था, जिसका इलाज सेंट स्टीफंस अस्पताल में हुआ था। उनका सेंट स्टीफंस अस्पताल से गहरा संपर्क था और वे दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी से जुड़े रहे। 1980 के दशक में मनोज कुमार ने तिलक मार्ग पर एक लग्ज़री फ्लैट भी खरीदा था और जब वे दिल्ली आते, तो वहां विजय नगर के अपने पुराने दोस्तों को बुला लिया करते थे।

मनोज कुमार ने अपनी फिल्म 'उपकार' (1967) में 'मेरे देश की धरती सोना उगले...' गीत फिल्माया था। यह गीत मुख्य रूप से भारतीय किसान और उनकी मेहनत को दर्शाता है। इस गीत की शूटिंग बाहरी दिल्ली के नांगला ठाकरन गांव में हुई थी, हालांकि मनोज कुमार चाहते थे कि इसे जौंती गांव में शूट किया जाए, जो हरित क्रांति का प्रतीक माना जाता है। जौंती गांव को चुना गया था क्योंकि यहां पर उन्नत बीजों से गेहूं की फसल का उत्पादन किया गया था, जिसे नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलॉग और कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की टीम ने विकसित किया था।

मनोज कुमार की सास सविता बहन, जो दिल्ली कांग्रेस की प्रमुख नेता थीं, ने 1972 में पटेल नगर से महानगर परिषद चुनाव लड़ा था। वह जय कुमार मल्होत्रा के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं, हालांकि वह चुनाव हार गईं थीं, लेकिन इस चुनाव में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके पक्ष में प्रचार किया था।