युवतियां महत्वाकांक्षी बनें, कोई क्षेत्र उनकी पहुंच के बाहर नहीं - संदीप कौर
महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर ने कहा है कि युवतियों को महत्वाकांक्षी होना चाहिये। कोई क्षेत्र ऐसा नही है जिसमें वे होड़ में पुरुषों से आगे निकलने की क्षमता न रखती हों।

उरई। महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर ने कहा है कि युवतियों को महत्वाकांक्षी होना चाहिये। कोई क्षेत्र ऐसा नही है जिसमें वे होड़ में पुरुषों से आगे निकलने की क्षमता न रखती हों। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके घर में जब उनके विवाह की चर्चा होती थी तो वे कह देती थी कि अगर मेरे लिए आईएएस जीवन साथी की व्यवस्था आप कर सकें। एक दिन मेरे अभिभावकों ने कहा कि अगर तुम्हें आईएएस पति चाहिए तो खुद आईएएस बनना पड़ेगा। यह बात मुझे लग गई और डटकर पढ़ाई की। नतीजा है कि मै अपनी मुकाम पर पहुंचने में सफल रही। उक्त बातें संदीप कौर सदभावना एकता मंच के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कर्मयोगिनी नारी सम्मान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम में 51 महिला संस्थाओं की 565 महिलाओं को कर्मयोगिनी नारी सम्मान से विभूषित किया गया। कार्यक्रम के बाद महिला कल्याण निदेशक संदीप कौर और अन्य अतिथियों ने उपस्थित महिलाओं के साथ होली खेले रघुवीरा की धुन पर जमकर फूलों की होली खेली।
संदीप कौर ने कहा कि मेरे दादा मुझे बहुत पढ़ाने के खिलाफ थे, लेकिन मेरी मां ने मेरा सहयोग किया। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को सशक्त करने और आगे बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका माता की रहती है जो उन्हें निभाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्त्री जननी है। कोई पुरुष कितने भी ऊंचे स्थान पर ही क्यों न हो लेकिन अगर जननी नही होती तो ऊंचाई मिलना तो दूर उसका दुनियां में अस्तित्व ही संभव नही था। इसलिए पुरुषों को स्त्रियों का ऋणी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी के बेटे-बेटी अच्छी पढ़ाई करके विदेश में सेटिल हो जाते हैं तो अकेले रह रहे माता-पिता का हाल-चाल पूंछने की सुध बेटे नही करते, लेकिन बेटी जरूर समय-समय पर पूंछने के लिए काॅल करती रहेगी। बेटे और बेटी के बीच स्वभाव के इस अंतर को हर मां-बाप को समझना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं ब्रहमकुमारी आश्रम की स्थानीय संचालिका बीके मीना दीदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति को देवी स्वरूपा माना गया है। देवियों का दिवस नही मनाया जाता। उनके दिन को पर्व कहा जाना चाहिए। मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद कानपुर प्रांत की मातृ शक्ति प्रकोष्ठ की संयोजिका सीमा जादौन ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि नारी सशक्तिकरण का विचार भारत के लिए दूसरे देशों से उधार लिया विचार नही है। पौराणिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक विशिष्ट नारियों को आईकाॅन के रूप में समाज में स्वीकार किये जाने की परंपरा इसका प्रमाण है। उन्होंने प्राचीन महिला आईकाॅन में गार्गी, मैत्रयी, अहिल्या बाई, रानी लक्ष्मीबाई आदि के नामों का उल्लेख किया। सभा का संचालन डा. ममता स्वर्णकार ने किया।
इसके पूर्व सदभावना एकता मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण दास बाबानी ने संगठन की सेवाओं पर रिपोर्ट सुनाई। उन्होंने इस अवसर पर जनपद और नगर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों व संस्थाओं से जरुरतमंद मेधावी बेटियों को जिनकी शिक्षा धन के अभाव में बाधित हो रही हो गोद लेने के लिए आगे आने का आवाहन किया। इससे प्रेरित होकर सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती चंद्राणी मित्रा ने घोषणा की कि ऐसी बेटियों को उनके स्कूल में मेरी लाडो स्काॅलरशिप के नाम से प्रथम से लेकर अंतिम कक्षा तक 50 प्रतिशत फीस माफी का लाभ दिया जायेगा। साथ ही उन्हें पढ़ाई के क्षेत्र मेें आगे बढ़ाने का हर संभव प्रयास उनके स्कूल द्वारा किया जायेगा। इसकी देखा देखी उपस्थित कई लोगों ने ऐसी बेटियों को गोद लेने का संकल्प जताया।
कार्यक्रम की व्यवस्था में सदभावना एकता मंच के वरिष्ठ पदाधिकारियों शांति स्वरूप माहेश्वरी, अलीम सर, महावीर तरसौलिया, संतोष कुमार प्रजापति व वकार हैदर का विशेष सहयोग रहा। आभार प्रदर्शन संस्था के संरक्षक केपी सिंह ने किया।
कर्मयोगिनी नारी सम्मान से सम्मानित की गईं महिलाओं में शशि सोमेंद्र सिंह, पूजा सिंह सेंगर, डा. माया सिंह, डा. स्वयं प्रभा द्विवेदी, डा. रेनू चंद्रा, डा. रचना श्रीवास्तव, श्रद्धा सेंगर, मीनू मिश्रा, शांति गुप्ता, व्यंजना सिंह, पुष्पा अग्रवाल, कल्पना श्रीवास्तव आदि प्रमुख रहीं।
REPORTED BY - SUNIL SHARMA
PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR