ट्रंप के कड़े इमिग्रेशन कानून से H-1B वीजा धारकों में अफरा-तफरी, गूगल और अमेजन ने दी कर्मचारियों को चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के बाद इमिग्रेशन संबंधी कानूनों में कड़ी सख्ती देखने को मिली है, जिससे दुनिया भर में हलचल मच गई है।

नई दिल्ली (जनमत): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के बाद इमिग्रेशन संबंधी कानूनों में कड़ी सख्ती देखने को मिली है, जिससे दुनिया भर में हलचल मच गई है। ट्रंप प्रशासन की नीतियों में जहां एक ओर कुछ देशों पर टैरिफ का हमला हो रहा है, वहीं दूसरी ओर अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की कार्रवाई हो रही है। इस सख्त इमिग्रेशन कानून के कारण H-1B वीजा धारक आईटी पेशेवरों में डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया है। गूगल और अमेजन जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वे अमेरिका छोड़ने से बचें, क्योंकि ट्रंप प्रशासन के कड़े कदमों के बाद उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
अमेरिका छोड़ने का डर
गूगल और अमेजन जैसी कंपनियों को चिंता है कि यदि उनके H-1B वीजा धारक कर्मचारी अमेरिका छोड़ते हैं, तो उन्हें भविष्य में फिर से अमेरिका लौटने की अनुमति न मिले। इस स्थिति ने भारतीय और अन्य देशों के H-1B वीजा धारक पेशेवरों को अनिश्चितता में डाल दिया है।
बच्चों के भविष्य की चिंता
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के तहत उच्च कौशल वाले पेशेवरों के लिए वीजा अस्वीकृति की दर में बढ़ोतरी हो सकती है, जैसा कि पहले उनके कार्यकाल के दौरान हुआ था। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन की योजना के तहत अमेरिकी नागरिकता की व्यवस्था में भी बदलाव किया जा सकता है, जिससे H-1B वीजा धारकों को चिंता है कि उनके बच्चों की अमेरिकी नागरिकता प्रभावित हो सकती है।
H-1B वीजा और उसका महत्व
H-1B वीजा एक अमेरिकी कार्यक्रम है, जिसमें कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को अस्थायी रूप से विशेषज्ञता वाले पदों पर काम करने का मौका मिलता है। भारत की प्रौद्योगिकी कंपनियां इस योजना से सबसे ज्यादा लाभ उठा रही हैं। हर साल लॉटरी के माध्यम से 65,000 H-1B वीजा जारी किए जाते हैं, और भारतीय नागरिकों को सबसे अधिक वीजा मिलते हैं।
आंकड़ों से स्थिति की समझ
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की अप्रैल-सितंबर अवधि में 1.3 लाख H-1B वीजा जारी किए गए, जिनमें से 24,766 वीजा भारतीय कंपनियों को मिले। इनमें से इन्फोसिस ने सबसे ज्यादा 8,140 वीजा प्राप्त किए, जबकि टीसीएस (5,274) और एचसीएल अमेरिका (2,953) का स्थान रहा।
इस प्रकार, भारतीय H-1B वीजा धारकों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण बन चुका है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियों के कारण उनकी स्थिति में असमंजस और अनिश्चितता बढ़ गई है।
Published By: Satish Kashyap