ऑपरेशन सिंदूर से भारत बना रक्षा निर्यात का नया हब, ब्रह्मोस से लेकर तेजस तक दुनिया में बढ़ी मांग
भारत अब केवल हथियार आयातक नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में एक उभरता हुआ निर्यातक बन चुका ...

Business News: भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत जो सामरिक कौशल और तकनीकी क्षमता दिखाई है, उससे देश के रक्षा निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी की उम्मीद है। देश में लगभग 100 कंपनियां अब रक्षा उपकरणों का निर्माण कर विदेशों में निर्यात कर रही हैं। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा बजट को 6.21 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 4.3% ज्यादा है।
ब्रह्मोस मिसाइल, तोपखाने और आधुनिक राइफल्स जैसे अत्याधुनिक हथियार अब भारत के रक्षा निर्यात का हिस्सा बन चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये वार्षिक रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया है।
भारत अब रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। कतर, जापान, इराक, इक्वाडोर और लेबनान जैसे कई देश भारत से बॉडी आर्मर, नौसेना के जहाज़, लड़ाकू हेलीकॉप्टर और अन्य रक्षा उत्पाद खरीद रहे हैं।
भारतीय कंपनियों द्वारा तैयार किए गए हल्के युद्धपोत, इंटरसेप्टर बोट्स और उच्च गुणवत्ता वाले टैंक्स ने वैश्विक बाजार में खास पहचान बनाई है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे संस्थानों ने घरेलू निर्माण क्षमता को साबित करते हुए एलसीए तेजस, डोर्नियर-228 और ALH ध्रुव जैसे विमान भी सफलतापूर्वक विकसित किए हैं।
ब्रह्मोस, आकाश और पिनाक जैसी मिसाइल प्रणालियों की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है। इसके अलावा भारतीय तोपें, बख्तरबंद वाहन, हल्के टॉरपीडो, रडार, गोला-बारूद और छोटे हथियार भी बड़े पैमाने पर निर्यात किए जा रहे हैं।
सरकार का फोकस अब पूरी तरह 'मेक इन इंडिया' और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर है। अब तक भारत ने 53 देशों के साथ रक्षा समझौते किए हैं, जिससे नए निर्यात बाजार खुल रहे हैं। भारतीय उत्पाद अपनी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी कीमतों के कारण विकासशील देशों के लिए आकर्षक बनते जा रहे हैं।