गुरदीप सिंह का खालिस्तानी समर्थन: पाक संसद से भारत पर हमले

पाकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन, सीनेट, में मंगलवार को खालिस्तानी विचारधारा की झलक देखने को मिली। पाकिस्तान में सिखों की संख्या बहुत कम है और इस समुदाय का एकमात्र प्रतिनिधित्व गुरदीप सिंह करते हैं, जो खैबर पख्तूनख्वा से सीनेट सदस्य हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) से जुड़े हुए हैं।

गुरदीप सिंह का खालिस्तानी समर्थन: पाक संसद से भारत पर हमले
Published By: Satish Kashyap

देश/विदेश:पाकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन, सीनेट, में मंगलवार को खालिस्तानी विचारधारा की झलक देखने को मिली। पाकिस्तान में सिखों की संख्या बहुत कम है और इस समुदाय का एकमात्र प्रतिनिधित्व गुरदीप सिंह करते हैं, जो खैबर पख्तूनख्वा से सीनेट सदस्य हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) से जुड़े हुए हैं।

सीनेट में पहलगाम हमले पर हो रही चर्चा के दौरान गुरदीप सिंह ने अपने संबोधन में खालिस्तानी समर्थक तेवर दिखाए। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय पाकिस्तान के साथ खड़ा है। गौरतलब है कि हाल ही में खालिस्तानी संगठन "सिख्स फॉर जस्टिस" के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी पाकिस्तान के समर्थन की बात कही थी। अब पाकिस्तानी संसद में भी इसी तरह के विचारों की प्रतिध्वनि सुनाई दी, जिससे यह संकेत मिलता है कि खालिस्तानी आंदोलन को पाकिस्तान से लगातार समर्थन मिलता रहा है।

गुरदीप सिंह ने भारत पर यह आरोप लगाया कि उसने पहलगाम हमले के तुरंत बाद बिना जांच के पाकिस्तान पर दोष मढ़ दिया। उनके भाषण में बार-बार "इंशाल्लाह" और "मदीने की रियासत" जैसे शब्दों का उपयोग भी ध्यान खींचने वाला था। वह एक ओर सिख पहचान का प्रतिनिधित्व करते दिखे, तो दूसरी ओर कट्टर इस्लामी विचारधारा की बातें भी करते नजर आए।

उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी उल्लेख करते हुए भारत पर सवाल उठाए और कहा कि एक समुदाय के खिलाफ इस प्रकार की हिंसा शायद ही किसी अन्य देश में देखी गई हो। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान में सिखों की स्थिति पर कोई बात नहीं की, जबकि उनकी संख्या वहां नाममात्र ही है।

स्वात जिले से ताल्लुक रखने वाले गुरदीप सिंह पाकिस्तान के इतिहास में पहले सिख नेता हैं जिन्हें सीनेट में स्थान मिला है। लेकिन संसद में उनके बयानों से यह साफ दिखा कि वह अपने समुदाय की समस्याओं की बात करने के बजाय भारत के खिलाफ एक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे थे।