प्राथमिक विद्यालय मर्जर का जोरदार विरोध, शिक्षकों को विद्यालय में बंद कर अभिभावकों ने जताया आक्रोश

प्राथमिक विद्यालय के मर्जर को लेकर ग्रामीणों और अभिभावकों ने तीव्र विरोध प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने विद्यालय गेट पर ताला जड़कर शिक्षकों को अंदर बंद कर दिया और जमकर नारेबाजी की।

प्राथमिक विद्यालय मर्जर का जोरदार विरोध, शिक्षकों को विद्यालय में बंद कर अभिभावकों ने जताया आक्रोश
REPORTED BY - BHIM SHANKAR, PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR

फतेहपुर/जनमत न्यूज। फतेहपुर जिले के भिटौरा विकासखंड अंतर्गत भटपुरवा गांव में प्राथमिक विद्यालय के मर्जर को लेकर ग्रामीणों और अभिभावकों ने तीव्र विरोध प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने विद्यालय गेट पर ताला जड़कर शिक्षकों को अंदर बंद कर दिया और जमकर नारेबाजी की। इस दौरान स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।

बतादें कि सरकारी आदेश के तहत भटपुरवा प्राथमिक विद्यालय को पास के नारायणपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में मर्ज किया जा रहा है। लेकिन इस निर्णय को लेकर गांव के अभिभावक और ग्रामीण बेहद आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि वे अपने छोटे बच्चों को दूर दूसरे गांव में नहीं भेज सकते और इस तरह विद्यालय को बंद करना गांव के शिक्षा अधिकार पर कुठाराघात है।

घटना के दौरान जब विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापक साधना सोनी ने अभिभावकों को यह जानकारी दी कि बच्चों की उपस्थिति और पीटीएम (पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग) के लिए उन्हें नारायणपुर स्कूल जाना होगा, तब ग्रामीणों ने आक्रोश में आकर गेट में ताला लगाकर शिक्षकों को भी अंदर बंद कर दिया। उन्होंने दो टूक कह दिया कि “न हमारे बच्चे जाएंगे, न हम लोग विद्यालय बदलने देंगे।”

इंचार्ज प्रधानाध्यापक साधना सोनी ने जानकारी दी कि उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि विद्यालय को नारायणपुर में मर्ज कर दिया गया है और उसी विद्यालय में उपस्थिति, मिड-डे मील और बैठकें आयोजित की जाएंगी। लेकिन जब उन्होंने यह सूचना अभिभावकों को दी, तो सभी ने विरोध करते हुए स्कूल में बंद कर दिया।

ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि भटपुरवा प्राथमिक विद्यालय को यथावत चालू रखा जाए। छोटे बच्चों को दूसरे गांव भेजना सुरक्षित और सुविधाजनक नहीं है। गांव में पहले से मौजूद आधारभूत संरचना को बर्बाद न किया जाए। इस विरोध से एक बार फिर शिक्षा विभाग की नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिना स्थानीय सहमति के विद्यालय मर्ज करना अव्यवहारिक है। प्रशासन को जमीनी हकीकत को समझते हुए निर्णय लेने चाहिए।