भारी बारिश के बीच सपन्न हुआ छठ महापर्व का समापन,छठ घाट उमड़ा लोगो का सैलाब !
सुबह से ही लगातार हल्की बूंदाबांदी, बादलों से ढका आसमान और ठंडी हवाओं के बीच भी श्रद्धा की ज्योति मंद नहीं पड़ी। राजधानी लखनऊ के गोमती तट पर स्थित लक्ष्मण मेला मैदान और अन्य घाटों पर मंगलवार सुबह छठ महापर्व का पावन समापन हुआ।
सुबह से ही लगातार हल्की बूंदाबांदी, बादलों से ढका आसमान और ठंडी हवाओं के बीच भी श्रद्धा की ज्योति मंद नहीं पड़ी। राजधानी लखनऊ के गोमती तट पर स्थित लक्ष्मण मेला मैदान और अन्य घाटों पर मंगलवार सुबह छठ महापर्व का पावन समापन हुआ। बारिश के बावजूद हजारों श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर 36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा किया। छठ व्रतियों की आस्था का ऐसा नज़ारा था कि बूंदाबांदी भी उनके कदम नहीं रोक सकी। महिलाएं सिर पर दऊरा (बांस की टोकरी) लेकर घाट की ओर बढ़ती रहीं, उनके साथ परिजन गीत गाते और जयघोष करते चलते रहे- “कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…”। पूरा वातावरण भक्ति, संगीत और श्रद्धा से सराबोर रहा।
बारिश के बीच उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सोमवार रात से ही राजधानी में हल्की बारिश का दौर जारी है। सुबह अर्घ्य के समय भी बूंदाबांदी थमी नहीं। बावजूद इसके श्रद्धालुओं की भीड़ में कोई कमी नहीं आई। लक्ष्मण मेला मैदान, झिलमिल तट, कुकरैल तट, इंदिरा नहर, हुसैनाबाद तालाब सहित शहर के छोटे-बड़े तालाबों और जलाशयों पर श्रद्धालु सुबह चार बजे से ही जुटने लगे थे। सड़क से लेकर घाट तक हर तरफ छठी मैया के गीत गूंज रहे थे।
उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ व्रत का समापन
मंगलवार की सुबह लगभग 6:18 बजे सूर्योदय का समय था। हालांकि, आसमान बादलों से ढका होने के कारण भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हो सके, फिर भी श्रद्धालुओं ने उसी समय के अनुसार अर्घ्य अर्पित किया। छठ व्रतियों ने गोमती नदी में उतरकर उगते सूर्य की दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाया। महिलाए दोनों हाथ जोड़कर सूर्यदेव से परिवार की सुख-समृद्धि और संतानों की दीर्घायु की प्रार्थना करती रहीं। जैसे ही पूजा संपन्न हुई, घाटों पर “जय छठी मैया! जय सूर्य देव!” के नारे गूंज उठे। इसके साथ ही व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास पूरा किया। व्रतियों ने अर्घ्य देने के बाद घर लौटकर परिवार के साथ ठेकुआ, पूड़ी-कद्दू, और चने की दाल का प्रसाद ग्रहण किया।

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