पहले चरण में अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा से होगी शुरुआत, कुल 2,250 घरेलू बायोगैस यूनिटें लगाने को मिली स्वीकृति

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ग्रामीण विकास की दिशा में एक और ऐतिहासिक पहल करने जा रही है। सीएम योगी के ग्राम-ऊर्जा मॉडल के तहत प्रदेश के गांवों में घरेलू बायोगैस यूनिटों की स्थापना शुरू की जा रही है

पहले चरण में अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा से होगी शुरुआत, कुल 2,250 घरेलू बायोगैस यूनिटें लगाने को मिली स्वीकृति
Published By- A.K. Mishra

लखनऊ/जनमत न्यूज़:- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ग्रामीण विकास की दिशा में एक और ऐतिहासिक पहल करने जा रही है। सीएम योगी के ग्राम-ऊर्जा मॉडल के तहत प्रदेश के गांवों में घरेलू बायोगैस यूनिटों की स्थापना शुरू की जा रही है, जिससे न सिर्फ ग्रामीणों की रसोई का खर्च घटेगा, बल्कि जैविक खाद उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। इस योजना से किसानों और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
 योजना के पहले चरण को लागू करने के लिए अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा जिलों का चयन किया गया है। इन चारों जिलों में कुल 2,250 घरेलू बायोगैस यूनिटें स्थापित की जाएंगी। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है और इन जिलों में सफलता के बाद अगले चार वर्षों में इसे लगभग 2.5 लाख घरों तक विस्तारित करने की योजना है।

किसानों को देना है सिर्फ 10 फीसदी अंशदान, सरकार और कार्बन क्रेडिट से पूरी होगी शेष लागत
प्रत्येक बायोगैस संयंत्र की कुल लागत 39,300 रुपए है। प्रक्रिया के अंतर्गत बायोगैस यूनिट की स्थापना के लिए किसानों को केवल 3,990 रुपए ही अंशदान देना होगा। शेष राशि सरकार की सहायता और कार्बन क्रेडिट मॉडल के माध्यम से पूरी की जाएगी। इस योजना को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से औपचारिक स्वीकृति भी मिल चुकी है।

एलपीजी की खपत में 70 फीसदी तक आएगी कमी
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता के अनुसार यह पहल ग्रामीणों के जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इस योजना के जरिए ग्रामीण रसोईघरों में एलपीजी की खपत में करीब 70 फीसदी तक कमी आएगी, जिससे घरेलू खर्च में भी भारी बचत होगी।

बायोगैस के साथ ही जैविक खाद का भी होगा निर्माण
गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि ये घरेलू बायोगैस यूनिटें न केवल खाना पकाने के लिए गैस प्रदान करेंगी, बल्कि उनसे निकलने वाली स्लरी से जैविक/प्राकृतिक खाद भी तैयार होगी। यह खाद खेती के लिए बेहद उपयोगी होगी और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी। इसके अतिरिक्त यह गैस वाहनों के ईंधन के रूप में भी उपयोग में लायी जा सकेगी।

गांवों में स्वरोजगार और पशुशाला निर्माण को मिलेगा बढ़ावा
इस योजना के तहत मनरेगा के माध्यम से गोशालाएं भी निर्मित की जाएंगी, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा। प्रथम चरण में 43 गोशालाओं में बायोगैस और जैविक/ प्राकृतिक खाद संयंत्र चालू किए जाएंगे। प्रत्येक गोशाला से प्रति माह लगभग 50 क्विंटल स्लरी तैयार होने की संभावना है, जिसे आसपास के किसान भी उपयोग में ला सकेंगे। इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।