इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में EWS आरक्षण की मांग खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण का लाभ देने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इससे संबंधित सभी अपीलों को भी रद्द कर दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में EWS आरक्षण की मांग खारिज की
Special Report By: Ambuj Mishra,Published By: Satish Kashyap

इलाहाबाद/जनमत:इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण का लाभ देने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इससे संबंधित सभी अपीलों को भी रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय राज्य में EWS आरक्षण लागू हो चुका था और सरकार को इसे भर्ती विज्ञापन में शामिल करना चाहिए था। हालांकि, अब जबकि पूरी चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अभ्यर्थियों की नियुक्ति भी हो गई है, इस स्थिति में कोर्ट अब EWS आरक्षण लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता।

अपीलकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं अशोक खरे, जी.के. सिंह और अन्य वकीलों ने दलील दी थी कि राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को ही कार्यालय ज्ञापन के जरिए EWS आरक्षण लागू करने की घोषणा की थी। वहीं, 69,000 शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन 17 मई 2020 को जारी हुआ था। ऐसे में उस समय EWS आरक्षण लागू था और इसके तहत चयन प्रक्रिया में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए था।

खंडपीठ के समक्ष तीन प्रमुख मुद्दे थे:

  1. क्या EWS योजना 18 फरवरी 2019 से लागू मानी जाएगी या 31 अगस्त 2020 से?

  2. क्या नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत विज्ञापन की तिथि (17 मई 2020) से मानी जाएगी?

  3. क्या याचिकाकर्ता किसी राहत के पात्र हैं?

कोर्ट ने माना कि EWS आरक्षण 18 फरवरी 2019 से प्रभावी है और भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन की तिथि से शुरू मानी जाएगी। हालांकि, चूंकि पूरी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जिन उम्मीदवारों की नियुक्ति हो चुकी है, उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया है, इसलिए अब EWS आरक्षण देना संभव नहीं है।

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि EWS लाभ के लिए कोई मेरिट लिस्ट तैयार नहीं की गई और न ही आवेदन के समय किसी ने EWS स्टेटस का उल्लेख किया था। इस स्थिति में न केवल यह तय करना कठिन है कि कौन अभ्यर्थी EWS श्रेणी में आता है, बल्कि आरक्षण लागू करने के लिए पहले से नियुक्त उम्मीदवारों को बाहर करना होगा, जो उचित नहीं होगा।