वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन के बाद जेडीयू में इस्तीफों का सिलसिला, मुस्लिम नेताओं का विरोध
WAQF AMENDMENT BILL 2025 : संसद के दोनों सदनों में वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है।

नई दिल्ली (जनमत): संसद के दोनों सदनों में वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। जेडीयू के सांसदों ने सदन में इस विधेयक का समर्थन किया था। इसके विरोध में शुक्रवार तक पार्टी के पांच प्रमुख नेता इस्तीफा दे चुके हैं, और इसके बाद 20 से अधिक मुस्लिम पदाधिकारी भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इस्तीफा देने वालों में नदीम अख्तर, राजू नैय्यर, तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शाहनवाज मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी शामिल हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने हैं, और इस घटनाक्रम से पार्टी के लिए चिंता का माहौल बन गया है। जेडीयू कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है, जो पार्टी के लिए आने वाले समय में एक चुनौती साबित हो सकता है।
राजू नैय्यर ने अपने इस्तीफे में कहा कि वे जेडीयू द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन से बेहद आहत हैं और इसे मुसलमानों पर अत्याचार करने वाला "काला कानून" करार दिया। उन्होंने कहा, "वक्फ संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद, मैं जेडीयू से इस्तीफा देता हूं और पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होने का अनुरोध करता हूं।" तबरेज हसन ने शुक्रवार को नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक के लिए पार्टी का समर्थन मुसलमानों का विश्वास तोड़ने जैसा है, जो मानते थे कि जेडीयू धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है।
तबरेज ने लिखा, "मुझे उम्मीद थी कि आप अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखेंगे, लेकिन आपने उन लोगों का समर्थन किया जिन्होंने मुसलमानों के हितों के खिलाफ काम किया है।" ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों से समर्थन की अपील की थी।
वक्फ विधेयक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के बाद, शनिवार को औरंगाबाद जिले में जदयू के 20 से ज्यादा मुस्लिम पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। जदयू के श्रम और तकनीकी प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष अफरीदी रहमान ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी के प्रतीक चिह्न को तोड़ते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान "नीतीश कुमार मुर्दाबाद" और "वक्फ संशोधन विधेयक को रोको" जैसे नारे लगाए गए।
बुधवार को लोकसभा में इस विधेयक पर बहस शुरू हुई थी, और देर रात इसे पारित कर दिया गया। इसके बाद, राज्यसभा में भी विधेयक पर लंबी बहस हुई और उसे पारित किया गया। अब इस विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाकी हैं। राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने बताया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक के पक्ष में 128 सदस्यों ने वोट किया, जबकि 95 ने इसके खिलाफ वोट दिया। इससे पहले गुरुवार को लोकसभा ने इसे पारित किया था। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस विधेयक का जोरदार समर्थन किया है, जबकि विपक्ष ने इसे 'असंवैधानिक' और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए इसकी आलोचना की है।