पहलगाम हमले पर ओवैसी का बड़ा बयान: आतंकी सीमा कैसे पार कर गए?

पहलगाम हमले पर ओवैसी का बड़ा बयान: आतंकी सीमा कैसे पार कर गए?
Published By: Satish Kashyap

Pahalgam attack:जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इस जघन्य घटना में शामिल आतंकियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि ऐसे तत्वों और उनके पीछे मौजूद ताकतों को जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है।

ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा, "जहां बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे, वहां सुरक्षा बलों की उपस्थिति क्यों नहीं थी? क्यों वहां न पुलिस नजर आई, न सीआरपीएफ का कोई कैंप?" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हमले के बाद रिएक्शन फोर्स को पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा का वक्त लगा, जो बेहद चिंताजनक है।

उन्होंने यह दावा भी किया कि हमलावरों ने पीड़ितों का धर्म पूछकर गोली चलाई और यह हमला पाकिस्तान समर्थित था। ओवैसी ने पूछा कि ऐसे हमलावर सीमा पार करके भारत में कैसे दाखिल हो गए और पहलगाम जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कैसे पहुंच गए? उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में श्रीनगर भी खतरे में पड़ सकता था।

ओवैसी ने कहा कि जब तक इस हमले में हुई लापरवाहियों की जवाबदेही तय नहीं होती, तब तक पीड़ितों को सही मायने में न्याय नहीं मिल सकता।

सर्वदलीय बैठक को लेकर उन्होंने जानकारी दी कि गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें फोन कर इस बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही दिल्ली के लिए टिकट बुक करेंगे और बैठक में हिस्सा लेंगे।

ओवैसी ने यह भी मांग की कि इस गंभीर मुद्दे पर बुलायी गई बैठक में छोटी पार्टियों को भी बुलाया जाए, जिनके सांसदों की संख्या पांच या दस से कम है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर सभी राजनीतिक दलों की राय सुनी जानी चाहिए, क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।

'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर ओवैसी ने बताया कि उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू से इस बारे में बात की, लेकिन रिजिजू ने कहा कि छोटी पार्टियों को नहीं बुलाने का निर्णय बैठक की लंबाई को सीमित रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

ओवैसी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवाद जैसे अहम मुद्दे पर सभी दलों की बात सुनने के लिए एक अतिरिक्त घंटे का समय नहीं निकाल सकते? उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त और साझा संदेश भेजने के लिए यह जरूरी है कि हर राजनीतिक दल को अपनी बात कहने का अवसर मिले।