रैम्पेज मिसाइल: भारत की सैन्य ताकत में इज़ाफा, पाकिस्तान को सताने लगा डर
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के संभावित कड़े कदमों को लेकर पाकिस्तान में बेचैनी लगातार बढ़ रही है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी भड़काऊ हरकतों से बाज नहीं आ रहा।

देश/विदेश (जनमत): पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के संभावित कड़े कदमों को लेकर पाकिस्तान में बेचैनी लगातार बढ़ रही है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी भड़काऊ हरकतों से बाज नहीं आ रहा। सीमा पर 11 दिनों से चल रही गोलीबारी और हाल ही में फिर से की गई मिसाइल परीक्षण की कार्रवाई उसके उकसावे की नीयत को दर्शाती है। हालांकि, ये भी किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान के पास खोखली धमकियों के अलावा कोई ठोस ताकत नहीं है। हाल की एक रिपोर्ट बताती है कि यदि युद्ध जैसे हालात बनते हैं, तो पाकिस्तान के पास केवल कुछ दिनों के लिए ही हथियार और गोला-बारूद मौजूद हैं, जबकि भारत के पास अत्याधुनिक और घातक मिसाइल सिस्टम हैं, जिनमें से एक है — रैम्पेज मिसाइल।
हवा से जमीन पर वार करने वाली ‘रैम्पेज मिसाइल’ अब भारतीय वायुसेना और नौसेना की शक्ति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह अत्याधुनिक मिसाइल केवल भारत और इज़रायल के पास ही है। यह मिसाइल दुश्मन के ठिकानों को समुद्र से ही निशाना बनाकर तबाह करने में सक्षम है और आने वाले समय में जंग की दिशा बदल सकती है।
इस घातक हथियार को इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और डिफेंस कंपनी ELBIT ने मिलकर तैयार किया है। इसकी रफ्तार इतनी तेज है कि यह रडार की पकड़ में आए बिना अपने लक्ष्य पर सीधा प्रहार करती है। रैम्पेज मिसाइल लगभग 250 किलोमीटर दूर तक के टारगेट को बहुत ही सटीकता से निशाना बना सकती है। इसे Su-30 MKI जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से भी लॉन्च किया जा सकता है, जिससे भारतीय वायुसेना और नौसेना की मारक क्षमता और बढ़ जाती है।
अगर इसकी खूबियों की बात करें तो यह सुपरसोनिक स्पीड से उड़ती है, जिससे दुश्मन के पास प्रतिक्रिया देने का समय नहीं रहता। यह रडार से बच निकलती है और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के प्रभाव में भी नहीं आती, यानी दुश्मन के तमाम सुरक्षा सिस्टम इसके आगे बेअसर हो जाते हैं। इसकी पेनेट्रेशन क्षमता इतनी अधिक है कि यह बंकर, एयरबेस और हथियार डिपो तक को ध्वस्त कर सकती है। इसके अलावा, यह कम लागत में बेहद प्रभावशाली असर डालती है।
गौरतलब है कि इज़रायल ने इस मिसाइल का पहला प्रयोग 13 अप्रैल 2019 को सीरिया के मासयाफ इलाके में एक रॉकेट उत्पादन केंद्र पर किया था। यह हमला इज़रायली F-16 विमान द्वारा किया गया था। भारत ने अब इस मिसाइल को अपने मिग-29 और फ्लाइंग बूट जैसे विमानों में शामिल कर लिया है, जिससे वायुसेना और नौसेना की एक साथ मार करने की ताकत में बड़ा इज़ाफा हुआ है