आईपीसी और यूपी फार्मेसी काउंसिल ने किया ऐतिहासिक एमओयू, दवाओं के सुरक्षित उपयोग पर होगा जोर

भारतीय फार्माकोपिया आयोग व यूपी फार्मेसी काउंसिल ने एनएफआई को बढ़ावा देने के लिए एमओयू साइन किया। दवाओं के सुरक्षित उपयोग और रोगी सुरक्षा पर जोर।

आईपीसी और यूपी फार्मेसी काउंसिल ने किया ऐतिहासिक एमओयू, दवाओं के सुरक्षित उपयोग पर होगा जोर
Special Report- Abhilash Bhatt, Published By- A.K. Mishra

लखनऊ /जनमत न्यूज़:-  भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) एमओएच, भारत सरकार ने 24 सितंबर 2025 को यूपी फार्मेसी काउंसिल लखनऊ में उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू का उद्देश्य राज्य के पंजीकृत फार्मासिस्टों के बीच नेशनल फॉर्मुलरी ऑफ इंडिया (एनएफआई) के उपयोग को बढ़ावा देना है। इस एमओयू के माध्यम से राज्य के पंजीकृत फार्मासिस्ट दवाओं के तर्कसंगत उपयोग, रोगियों में प्रतिकूल घटनाओं की रोकथाम और अंततः रोगी सुरक्षा को बढ़ावा देने के बारे में अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाएंगे। दोनों संगठन राज्य भर में सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं में दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए एनएफआई राज्य भर के सभी पंजीकृत फार्मासिस्टों के लिए अनिवार्य दस्तावेज के रूप में काम करेगा।

बतादें कि "यू.पी. फार्मेसी काउंसिल देश की पहली राज्य फार्मेसी काउंसिल है, जिसने औषधियों के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए व्यापक जनहित में आई.पी.सी. के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।"

भारत फार्माकोपिया आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से डॉ. वी. कलईसेल्वन, सचिव सह वैज्ञानिक निदेशक, आईपीसी और उत्तर प्रदेश फार्मेसी परिषद की ओर से संदीप बडोला- अध्यक्ष, राज्य फार्मेसी परिषद द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

अधिकारियों के बयान:

संदीप बडोला, अध्यक्ष, यूपी फार्मेसी काउंसिल:

आपको बता दें कि कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उ० प्र० फार्मेसी काउन्सिल के अध्यक्ष सन्दीप बडोला ने कहा कि औषधियों के प्रति सतर्कता बरतना अति आवश्यक है औषधियाँ मानव के शरीर में प्रतिकूल प्रभाव डालती है| इसकी जानकारी स्वास्थ्य प्रदाता और मरीज को होना अत्यन्त आवश्यक है | इसके लिये दवाओं की पूर्ण जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है उन्होने कहा कि चिकित्सा से जुडे हर व्यक्ति चिकित्सक, फार्मेसिस्ट, नर्स के पास नेशनल फॉर्मुलरी ऑफ इन्डिया (आईपीसी) पुस्तक होना अत्यन्त आवश्यक है क्योकि इसमें औषधियों की डोज, प्रतिकूल प्रभाव व उपयोग की समस्त जानकारी उपलब्ध है उन्होने कहा कि उ० प्र० फार्मेसी काउन्सिल के माध्यम से प्रदेश के समस्त जिलों में रिफ्रेशर कोर्स करा कर फार्मेसी समाज के लोगो को समय समय पर अपग्रेड किया जायेगा जिसमें फार्मेसी के प्रबुद्ध व विद्वानों का भी सहयोग लिया जायेगा आगे उन्होने कहा कि काउन्सिल की ओर से सरकार का भी ध्यान भी इस ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जायेगा क्योकि यह जनहित से जुडा मुद्दा है।

डॉ. वी. कलईसेल्वन, सचिव सह वैज्ञानिक निदेशक,आईपीसी:

नेशनल फॉर्मुलरी ऑफ इन्डिया, भारत सरकार के सचिव कम साइंटिफिक डायरेक्टर डा० वी० कलईसेल्वन ने कहा कि उ० प्र० फार्मेसी काउन्सिल ने जनता के हित में औषधियों के प्रति सतर्कता बरतने का बीडा उठाया है उन्होने कहा कि उ० प्र० फार्मेसी काउन्सिल ने भारत सरकार के साथ आज करार करके इस दिशा में बडा कदम उठाया है अब उ० प्र० फार्मेसी काउन्सिल के प्रयास से औषधियों के प्रतिकूल प्रभाव पडने की दिशा में नियंत्रण हो पायेगा।

कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख

एमओयू हस्ताक्षर समारोह में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य आरए गुप्ता, यूपीपीसी के उपाध्यक्ष अखिल सिंह, यूपीपीसी के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार त्रिपाठी, यूपीपीसी के सदस्य रमेश चंद्र श्रीवास्तव, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के सदस्य डॉ. अमित, लखनऊ विश्वविद्यालय के फार्मास्युटिकल साइंसेज संस्थान के निदेशक पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी, एकेटीयू के फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आकाश वेद, इंटीग्रल विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. इरफान अजीज, इंटीग्रल विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. ओपी वर्मा , गोयल संस्थान के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराधा मिश्रा, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. आसिफ,  एरा विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. विनीता गौतम, उत्तर प्रदेश के फार्मेसी संस्थान के औषधि नियंत्रक डॉ. अतुल श्रीवास्तव, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के क्षेत्रीय निदेशक एवं उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के सदस्य श्याम नरेश दुबे, अनिल प्रताप सिंह, श्रवण चौधरी एवं फार्मेसी प्रोफेशनल्स शामिल रहे ।