वैवाहिक झगड़े में पति की आत्महत्या पर पत्नी नहीं होगी दोषी — हाईकोर्ट
शुक्रवार को सुनाए गए इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि वैवाहिक झगड़े के दौरान किसी को “मर जाना चाहिए” जैसे शब्द कह देना और उसके बाद आत्महत्या कर लेना, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के अंतर्गत दंडनीय अपराध नहीं माना जाएगा।

प्रयागराज/जनमत न्यूज़। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवादों से जुड़े मामलों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि पति और पत्नी के बीच हुए झगड़े में पत्नी की किसी बात से आहत होकर पति आत्महत्या कर लेता है, तो पत्नी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
शुक्रवार को सुनाए गए इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि वैवाहिक झगड़े के दौरान किसी को “मर जाना चाहिए” जैसे शब्द कह देना और उसके बाद आत्महत्या कर लेना, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के अंतर्गत दंडनीय अपराध नहीं माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक कलह और घरेलू मतभेद आम सामाजिक वास्तविकता हैं, और यदि ऐसे तनावों के चलते पति या पत्नी में से कोई आत्महत्या कर लेता है, तो इसे आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं माना जा सकता।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि धारा 306 के तहत दोष सिद्ध करने के लिए यह साबित होना आवश्यक है कि आरोपी की स्पष्ट मंशा आत्महत्या के लिए उकसाने की थी। यदि पति, पत्नी या उनके रिश्तेदारों के बीच विवाद या प्रताड़ना थी, परंतु उसका उद्देश्य आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं था, तो इसे दंडनीय अपराध नहीं ठहराया जा सकता।
फैसले में यह भी कहा गया कि केवल जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई जानकारी या बयान पर्याप्त नहीं हैं; जब तक यह सिद्ध न हो जाए कि आरोपी ने जानबूझकर मृतक को आत्महत्या के लिए प्रेरित किया।
हाईकोर्ट का यह निर्णय घरेलू विवादों में धारा 306 की व्याख्या और आत्महत्या के लिए उकसाने की मंशा की आवश्यकता को लेकर एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल माना जा रहा है।